बलौदाबाजार(ईएमएस)। सिंधी समाज ने झूलेलाल चालिहा महोत्सव को भव्य और भक्तिमय रूप में मनाते हुए भगवान झूलेलाल को 56 भोग का विशेष प्रसाद अर्पित किया। यह पावन आयोजन शुक्रवार की रात साप्ताहिक सत्संग, भजन-कीर्तन और भव्य महाआरती के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम का आयोजन पूज्य सिंधी पंचायत एवं महिला मंडल कार्यकारिणी के मार्गदर्शन में किया गया। महोत्सव में समाज के करीब 250 महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। भजन-कीर्तन और सत्संग के दौरान पूरा वातावरण भक्ति, श्रद्धा और आस्था से सराबोर हो गया। इस अवसर पर भगवान झूलेलाल के 56 भोग की आकर्षक और भव्य झांकी सजाई गई, जिसे देखने समाजजन बड़ी संख्या में पहुंचे। अर्पित भोग को बाद में प्रसादी के रूप में श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। महिलाओं द्वारा प्रस्तुत भजन-सत्संग ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया, वहीं महाआरती के समय पूरा परिसर जय झूलेलाल के उद्घोष से गूंज उठा। महोत्सव के समापन पर बाहराणा साहब निकाला गया और विधिवत ज्योत विसर्जन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य आयोजक माया पंजवानी ने बताया कि झूलेलाल चालिहा महोत्सव वर्ष में दो बार मनाया जाता है—एक बार सावन माह में और दूसरी बार दीपावली के बाद आने वाले चंद्र माह में। उन्होंने कहा कि यह पर्व नवरात्रि के समान पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है तथा गहरी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। महोत्सव ने सिंधी समाज के आपसी भाईचारे, एकता और सामाजिक समरसता का सशक्त संदेश दिया। वक्ताओं ने चालिहा व्रत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 40 दिनों तक भगवान झूलेलाल की पूजा, उपवास और स्मरण करने से तन-मन को शांति मिलती है, दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। उन्होंने बताया कि जो श्रद्धालु पूरे 40 दिन का व्रत नहीं रख पाते, वे अंतिम पांच दिनों में पूजा-अर्चना कर भी पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।