भोपाल(ईएमएस)। भोपाल अब एक ऐसे दिव्य अवसर का साक्षी बन रहा है जिसकी प्रतीक्षा सदियों से की जा रही थी। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के वे पवित्र अंश, जो लगभग 1000 वर्षों तक इतिहास के अंधेरों में छिपे रहे, अब फिर असंख्य भक्तों की आस्था का केन्द्र बनने जा रहे हैं। 4 जनवरी 2026 को सुबह 10 बजे रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर दिव्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग सामूहिक रूद्र पूजा एवं दर्शन का कार्यक्रम आर्ट ऑफ लिविंग और भोपाल उत्सव मेला के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है। हिमांशी गुप्ता, सीनियर अन्तर्राष्ट्रीय फैकल्टी आर्ट ऑफ लिविंग, आयोजक सोमनाथ ज्योतिलिंग यात्रा, ने बताया कि यह रुद्र पूजा आर्ट ऑफ लिविंग, संस्थापक परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी, के अन्तर्राष्ट्रीय डायरेक्टर दर्शक हाथी जी के साथ वैदिक धर्म संस्थान, बैंगलोर से पधारे पंडित करेंगे। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव , उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला , खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग , विधायक भगवान दास सबनानी और भोपाल उत्सव मेला के अध्यक्ष मनमोहन अग्रवाल उपस्थित रहेंगे। भोपाल मेला उत्सव, आयोजन समिति के अशोक गुप्ता और महामंत्री सुनील जैनाविन ने बताया कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के ये पवित्र अंश की अद्वितीय आध्यात्मिक यात्रा भोपाल पहुंचने वाली है, शहरवासी इस यात्रा का स्वागत करने को तैयार है। इस अवसर पर एक विशाल शिव यात्रा निकाली जायेगी, जिसमे मेला समिति के पदाधिकारि, आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक गण एवं सदस्य, के साथ शहर के शिव भक्त मौजूद रहेंगे। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के उपेंद्र तोमर, वी.पी. शर्मा, नितिन कंसल, आशीष भट्टाचार्य, धर्मेंद्र दांग, उदय अग्रवाल, मीनल बोरवणकर, अंकुर रैना, अर्चना जैन ने बताया की सदियों तक दुनिया से छिपे रहने के बाद इन पाचन अंशों की मध्यप्रदेश के कई शहरों में यात्रा निकाली जा रही है जिसका विवरण इस प्रकार है:- दिनांक: 28 दिसंबर 2025 (रविवार) खातेगांव सुबह 8:00 बजे, इटारसी दोपहर 3:00 बजे, नर्मदापुरम शाम 6:00 बजे दिनांक: 29 दिसंबर 2025 (सोमवार) गाडरवारा दोपहर 12:00 बजे दिनांक: 30 दिसंबर 2025 (मंगलबार) सागर दोपहर 2:00 बजे दिनांक: 31 दिसंबर 2025 (बुधवार) विदिशा सुबह 10:00 बजे दिनांक: 04 जनवरी 2026 (रविवार) भोपाल सुबह 10:00 बजे, रवींद्र भवन, मुक्ताकाश मंच इसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत से जोड़ता है। परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के आशीर्वाद से सोमनाथ में पुनः प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व वे अवशेष देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों और पवित्र केंद्रों की यात्रा करेंगे, ताकि अधिक से अधिक भक्त इनके दर्शन कर सकें। मध्य प्रदेश में सोमनाथ ज्योतिलिंग यात्रा का शुभारंभ 14 दिसंबर को बाबा महाकाल और श्री सोमनाथ जी के पावन मिलन से हुआ। क्या है यह 1000 वर्ष पुराना रहस्य? इस आयोजन का केंद्र बिंदु मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के वे पवित्र अंश हैं, जिनका संबंध 1026 ईस्वी के ऐतिहासिक आक्रमण से है। लेविटेटिंग (Levitating) शिवलिंगः प्राचीन इतिहास और शास्त्रों के अनुसार, सतयुग में चंद्रदेव द्वारा निर्मित सोमनाथ मंदिर का मूल शिवलिंग एक अद्भुत हवा में तैरने वाला शिवलिंग था, जो बिना किसी बाहरी सहारे के गर्भ गृह के मध्य में स्थिर रहता था। संरक्षण की गाथाः जब महमूद गजनवी ने मंदिर को 18वीं बार ध्वस्त किया, तब वहां के अग्निहोत्री ब्राह्मण पुजारियों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर उस मूल ज्योतिर्लिंग के अंशों को सुरक्षित बचा लिया था। पिछले 1000 वर्षों से, यह परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी इन अंशों को गुप्त रूप से पूजता और संरक्षित करता आ रहा है। गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी के संरक्षण में हैं अंश भविष्यवाणी हुई सत्यः 100 साल का इंतजार समाप्त इन अंशों का अब प्रकट होना एक सदी पुरानी भविष्यवाणी का परिणाम है। 1924 में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जी ने उस समय के संरक्षक परिवार को निर्देश दिया था कि इन अंशों को ठीक 100 वर्षों तक और गुप्त रखा जाए। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि एक सदी बाद, इन्हें दक्षिण भारत के शंकर नाम के एक संत को सौंपा जाना चाहिए। इस दैवीय विधान को पूरा करते हुए, 15 जनवरी 2025 में संरक्षक परिवार ने इन ऐतिहासिक धरोहरों को परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी को सौंप दिया। धरोहर के पुनर्जीवन का क्षण यह केवल दर्शन का अवसर नहीं, बल्कि उस महान धरोहर के पुनर्जीवन का क्षण है जिसे आक्रमणों, युद्धों और समय के थपेड़ों के बीच भी मिटाया नहीं जा सका। गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम माना जाता है। हजारों वर्षों से यह मंदिर भारतीय सभ्यता, उसके आध्यात्मिक बल और सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक रहा है। यह स्थान केवल पूजा का स्थल नहीं, बल्कि इतिहास के उतार चढ़ाव का साक्षी भी रहा है। यहाँ शिवलिंग की स्थापना का इतिहास, मंदिर के अनेक पुनर्निर्माण और इसके जुड़े रहस्य आज भी लोगों को रोमांचित करते है। पहला ज्योतिर्लिंग माने जाने का कारण पुराणों के अनुसार इसी स्थान पर भगवान शिव ने ज्योति रूप में प्रकट होकर अपनी अनंत ऊर्जा का दर्शन कराया। इसी कारण इसे प्रथम ज्योतिर्लिंग की उपाधि मिली। ज्योतिर्लिंग वह स्थान माना जाता है, जहां शिव स्वयं प्रकाश-स्तंभ के रूप में प्रकट हुए हों। यहां का वातावरण अपने माहात्म्य का बखान करता हुआ आज भी अलौकिक शांति और आस्था से भरा रहता है। जो इस मान्यता को और भी बल देता है सोमनाथ शिवलिंग की उत्पत्ति और पौराणिक गाथा सोमनाथ शिवलिंग की शुरुआत चंद्रदेव की तपस्या से जुड़ी है। प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है कि चंद्रदेव को श्राप मिला था और उससे मुक्ति के लिए उन्होंने इसी स्थान पर कठोर तप किया। भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने चंद्रमा को श्राप मुक्त कर दिया। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ ज्योतिलिंग पड़ा। सोमनाथ मंदिर पर हमले और संघर्ष का इतिहास सोमनाथ मंदिर की कहानी जितनी पवित्र है, उतनी ही संघर्षपूर्ण भी। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए। इनमें सबसे चर्चित 1025 ई. में महमूद गजनवी का हमला है। उसने मंदिर को लूटा, तोड़ा और अनमोल धरोहरों को नष्ट कर दिया। इसके बाद भी मंदिर अनेक बार गिराया गया और हर बार फिर से खड़ा किया गया। इस मंदिर का लगातार पुनर्निर्माण भारतीय संस्कृति की अडिग आस्था का उदाहरण है। आर्थिक, सांस्कृतिक ओर वैज्ञानिक गतिविधियों का भी केंद्र रहा है सोमनाथ मंदिर प्राचीन सोमनाथ मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं था, बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक गतिविधियों का भी केंद्र था। विदेशी यात्रियों के अनुसार मंदिर में नवरत्नों से भरे भंडार, सोने-चांदी से अलंकृत भवन और समुद्री मार्गदर्शन के लिए ऊंचे स्तंभ थे। यहां से समुद्र मार्गों की दिशा तय की जाती थी, जो इसे दिशा निर्देशन का भी प्रमुख केंद्र बनाता था। भोपाल का सौभाग्य यह केवल एक पूजा नहीं, बल्कि उस ऊर्जा के साथ जुड़ने का मौका है जिसे हमारे पूर्वजों ने पूजा था। द आर्ट ऑफ लिविंग का यह शुभ संकल्प है कि भोपाल का प्रत्येक नागरिक इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बने। इस ऐतिहासिक अवसर पर, द आर्ट ऑफ लिविंग, भोपाल के सभी नागरिकों से विनम्र निवेदन करता है कि आप सभी सपरिवार इस भव्य आयोजन में अवश्य पधारें। कार्यक्रम विवरणः दिनांक: 4 जनवरी 2026 (रविवार) समयः प्रातः 10:00 बजे से (रुद्र पूजा एवं दिव्य दर्शन) स्थानः मुक्ताकाश मंच (ओपन एयर ऑडिटोरियम), विश्राम भवन, भोपाल हरि प्रसाद पाल / 27 दिसम्बर, 2025