राज्य
27-Dec-2025
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फेफड़ों के कैंसर मरीजों के लिए ऐप-आधारित सपोर्टिव केयर (Bpl03) भोपाल(ईएमएस)।एम्स भोपाल निरंतर उन्नत कैंसर उपचार, शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में अपनी भूमिका को सशक्त कर रहा है, ताकि मरीजों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे नवीनतम विकास का लाभ मिल सके। इसी क्रम में, एम्स भोपाल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी एवं हीमैटोलॉजी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. आकांक्षा चौधरी ने 19 से 21 दिसंबर 2025 तक आयोजित प्रतिष्ठित “9th ईयर एंड रिव्यू इन लंग कैंसर” सम्मेलन में सहभागिता की। यह सम्मेलन टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई के फैकल्टी द्वारा कैंसर रिसर्च एंड स्टैटिस्टिक्स फाउंडेशन के तत्वावधान में तथा इंस्टिट्यूट ऑफ पल्मोनोलॉजी के सहयोग से आयोजित किया गया। इसमें टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई, एम्स दिल्ली, राजीव गांधी कैंसर हॉस्पिटल दिल्ली, मणिपाल हॉस्पिटल, मेदांता हॉस्पिटल तथा एचसीजी हॉस्पिटल जैसे देश के प्रमुख संस्थानों के प्रसिद्ध मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट एवं लंग कैंसर विशेषज्ञों ने भाग लिया और फेफड़ों के कैंसर के उपचार में नवीनतम प्रगति पर विचार-विमर्श किया। विशेषज्ञ मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट के रूप में डॉ. आकांक्षा चौधरी ने इस सीएमई (CME) में फैकल्टी की कई भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने फेफड़ों के कैंसर मरीजों के लिए सपोर्टिव केयर प्रदान करने हेतु डिजिटल एप्लिकेशन (App) के उपयोग पर एक अध्ययन प्रस्तुत किया, जिसे मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल, बोस्टन द्वारा किया गया था। उन्होंने अपने व्याख्यान में भारत में भी इस प्रकार के डिजिटल ऐप्स एवं ऐप आधारित केयर को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। राष्ट्रीय मंच पर उनकी प्रस्तुति को व्यापक सराहना मिली। इसके साथ ही उन्होंने पैनलिस्ट के रूप में भाग लेते हुए दुर्लभ म्यूटेशन वाले लंग कैंसर के उपचार में प्रगति तथा लंग कैंसर में सपोर्टिव केयर जैसे विषयों पर अन्य विशेषज्ञों के साथ चर्चा की। एम्स भोपाल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी यूनिट द्वारा कैंसर मरीजों, विशेषकर लंग कैंसर मरीजों को उन्नत, समग्र एवं व्यक्तिगत उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। मरीजों को निदान से लेकर नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS) टेस्ट, कीमोथेरेपी, टार्गेटेड थेरेपी एवं इम्यूनोथेरेपी तक, उनकी बीमारी एवं वहन क्षमता के अनुसार मार्गदर्शन और उपचार प्रदान किया जाता है। ऑन्कोलॉजी में उपलब्ध इन नई दवाओं से लंग कैंसर मरीजों के जीवन में महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव आया है। इसके साथ ही, विभाग भविष्य में ऐसे ऐप्स विकसित करने और ऐप-आधारित देखभाल (App-based care) प्रदान करने के लिए सहयोग करने का इच्छुक है। हरि प्रसाद पाल / 27 दिसम्बर, 2025