सिहोरा (ईएमएस)। शिव मंदिर बाबाताल में इन दिनों भक्ति की बयार बह रही है। नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा के चतुर्थ दिवस व्यासपीठ से पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा कठिन तपस्या के कारण च्यवन ऋषि का शरीर जर्जर हो गया था और दीमक ने उन पर बांबी बना ली थी। राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या द्वारा अनजाने में हुई भूल और फिर उनके समर्पण की कथा ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। अश्विनी कुमारों द्वारा च्यवन ऋषि को पुन: युवावस्था प्रदान करने के प्रसंग के माध्यम से उन्होंने आयुर्वेद और भक्ति की शक्ति का महत्व समझाया। आगे कहा विश्वामित्र और राजा हरिश्चंद्र के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सत्य के मार्ग पर चलना कठिन अवश्य है लेकिन अंतत: विजय सत्य की ही होती है। राजा हरिश्चंद्र ने अपने सत्य के पालन के लिए राज-पाट,पत्नी और पुत्र तक का त्याग कर दिया लेकिन अपना धर्म नहीं छोड़ा आगे कहा आद्यशक्ति की कृपा से ही संसार का संचालन हो रहा है। उन्होंने बताया कि जो मनुष्य सच्चे मन से मां भगवती की शरण में जाता है उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कथा में दूर-दराज से भी बड़ी संख्या में माताएं, बहनें और धर्मप्रेमी बंधु पहुंच रहे हैं। आरती के पश्चात सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। आयोजन समिति ने बताया कि आगामी दिनों में देवी के विभिन्न अवतारों और महिमा का सजीव वर्णन किया जाएगा। ईएमएस / 27/12/2025