:: प्राण-प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगांठ पर शौर्य दिवस का आयोजन; हुकमचंद साबला ने किया वीरों का स्मरण :: इंदौर (ईएमएस)। अयोध्या में विराजे प्रभु श्रीरामलला के भव्य, दिव्य और नव्य मंदिर का निर्माण सदियों के संघर्ष और बलिदान का परिणाम है। पिछले 500 वर्षों में हमारे पूर्वजों ने इस मंदिर के लिए 77 बार भीषण युद्ध लड़े। मुगलों के विध्वंसकारी दौर में भी हमारे पूर्वजों ने साहस, शौर्य और दृढ़ प्रतिज्ञा को जीवित रखा, जिसका फल आज हमें भव्य मंदिर के रूप में दिखाई दे रहा है। ये प्रेरक विचार विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकमचंद साबला ने व्यक्त किए। वे बुधवार को खातीपुरा स्थित प्राचीन राम मंदिर पर महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास महाराज के सानिध्य में आयोजित शौर्य दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। गौसेवा भारती एवं चैतन्य भारत द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की द्वितीय वर्षगांठ के उपलक्ष्य में संपन्न हुआ। :: हनुमान चालीसा के पाठ से गूँजा परिसर :: समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके बाद उपस्थित रामभक्तों एवं गौभक्तों ने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ किया। हुकमचंद साबला ने अपने ओजपूर्ण उद्बोधन में छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप और बप्पा रावल सहित हजारों हिंदू वीरों की शौर्य गाथाएं साझा कीं। उन्होंने समाज का आह्वान किया कि वर्तमान की गंभीर चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुटता अनिवार्य है। :: भक्तिमय वातावरण में हुआ अतिथियों का स्वागत :: कार्यक्रम के प्रारंभ में संयोजक गौरव अग्रवाल, अशोक गुप्ता, कैलाशचंद खंडेलवाल और विष्णु गोयल ने अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया। आयोजन का कुशल संचालन नीलेश गंगराडे ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्रदीप अग्रवाल द्वारा किया गया। समूचा वातावरण जय श्रीराम के उद्घोष से भक्तिमय बना रहा। अंत में महाआरती एवं प्रसाद वितरण के साथ उत्सव का समापन हुआ। प्रकाश/31 दिसम्बर 2025 संलग्न चित्र - इंदौर। खातीपुरा, रिवर साइड रोड स्थित प्राचीन राम मंदिर पर आयोजित शौर्य दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित रामभक्त एवं गौभक्त।