राष्ट्रीय
23-Oct-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। कभी-कभी मामूली दिखने वाली चोट या शरीर में होने वाला कोई बदलाव जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसा तब होता है जब शरीर के अंदर खून के थक्के जमने लगते हैं। इसे मेडिकल भाषा में ब्लड क्लॉटिंग (ब्लड क्लाटिंग) कहा जाता है। सामान्य तौर पर यह प्रक्रिया शरीर के लिए फायदेमंद होती है क्योंकि इससे किसी चोट लगने पर रक्तस्राव रुक जाता है, लेकिन अगर बिना किसी चोट के ही शरीर में थक्के बनने लगें, तो यह खतरनाक बीमारी का संकेत हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, खून का थक्का शरीर की एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है, जो चोट लगने पर रक्त को बहने से रोकता है। मगर जब यही प्रक्रिया बिना किसी कारण या आंतरिक चोट के शुरू हो जाती है, तो यह शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों के लिए खतरा बन जाती है। खून के थक्के जमने से दिमाग में स्ट्रोक, दिल का दौरा और फेफड़ों में ब्लॉकेज जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे मामलों में मरीज को समय पर पहचान और उपचार मिलना बेहद जरूरी होता है। शरीर में खून के थक्के जमने के कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इनमें अचानक सूजन आना, प्रभावित जगह पर लालिमा या दर्द, छूने पर गर्मी महसूस होना, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना और शरीर में कमजोरी महसूस होना शामिल है। कुछ मामलों में हाथ-पैर सुन्न पड़ना, घबराहट और अत्यधिक पसीना आना भी इसके संकेत हो सकते हैं। मोटापा, हार्मोनल बदलाव या मेनोपॉज के दौरान भी यह समस्या बढ़ सकती है। इसके अलावा, आयुर्वेदाचार्य डॉ. सर्वेश कुमार का कहना है कि लहसुन में पाए जाने वाले एलिसिन और एजोईन तत्व खून को पतला रखने में मदद करते हैं। रोजाना सुबह लहसुन और शहद का मिश्रण पानी में उबालकर पीने से लाभ होता है। इसी तरह, हल्दी वाला दूध भी ब्लड क्लॉटिंग से बचाव में कारगर माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, संतुलित आहार और सही जीवनशैली अपनाकर ब्लड क्लॉटिंग से बचाव किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, डाइट में विटामिन-के से भरपूर चीजें शामिल करना फायदेमंद होता है। विटामिन-के शरीर के भीतर रक्त के बहाव को नियंत्रित करता है और बाहर रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है। सुदामा/ईएमएस 23 अक्टूबर 2025