14 नवबंर को चलेगा पता, जनता को यह नया प्रयोग पसंद आया या पुराने समीकरण हावी रहे पटना,(ईएमएस)। बिहार की राजनीति में इस बार बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ने अपने पुराने विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाया है। जनता की नाराजगी और पिछली बार के एंटी-इंकम्बेंसी माहौल को ध्यान में रखकर दोनों गठबंधनों ने कुल मिलाकर करीब 27 फीसदी मौजूदा विधायकों को बेटिकट कर दिया है। भाजपा-जदयू ने 31 और राजद-कांग्रेस ने 36 विधायकों को फिर से मौका नहीं दिया। इसका मतलब साफ है कि यह चुनाव सिर्फ पार्टियों के बीच मुकाबला नहीं, बल्कि नए चेहरों और नई उम्मीदों का चुनाव है। एनडीए ने इस बार सीट बंटवारे में सहयोगियों को बड़ा हिस्सा दिया है। भाजपा और जदयू ने 10-10 सीटें अपने सहयोगियों को दी हैं, जबकि हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) को 2 सीटें दी गई हैं। भाजपा ने बख्तियारपुर, मनेर, दरौली, बरौली, फतुहा और कहलगांव जैसी अहम सीटें सहयोगियों को दे दी हैं। वहीं जदयू ने बाजपट्टी, बेलसंड, कोचाधामन, महुआ, मढ़ौरा, तेघड़ा और नाथनगर जैसी पारंपरिक सीटें सहयोगियों को सौंप दी हैं। एनडीए के अंदर टिकट कटौती की सबसे बड़ी लहर भाजपा में दिखाई दी। पार्टी ने 17 मौजूदा विधायकों को बाहर किया, जिसमें प्रमुख नाम रामसूरत राय, जयप्रकाश यादव, निक्की हेम्ब्रम, नंदकिशोर यादव, अमरेंद्र प्रताप सिंह और रश्मि वर्मा जैसे वरिष्ठ नेता शामिल हैं। जदयू ने भी आठ पुराने विधायकों को हटाकर युवाओं को मौका दिया, जिसमें गोपाल मंडल, वीना भारती और दिलीप राय जैसे बड़े नाम शामिल हैं। विपक्षी महागठबंधन में भी बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। राजद ने 31 मौजूदा विधायकों को टिकट से वंचित कर दिया, जबकि कांग्रेस ने पांच विधायकों को टिकट नहीं देकर उनकी जगह दूसरों को मौका दिया। राजद ने भरत बिंद, मो. कामरान, भीम यादव और किरण देवी जैसे पुराने चेहरों को हटाकर युवाओं और साफ छवि वाले उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने अपने हिस्से की सीटों में से दस नए उम्मीदवार उतारे हैं, जिसमें शशांत शेखर, उमेर खान, ओम प्रकाश गर्ग और नलिनी रंजन झा प्रमुख हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए ने भी नई पीढ़ी को आगे लाया है। भाजपा ने 10 नए उम्मीदवारों को मौका दिया है, जिसमें मशहूर गायिका मैथिली ठाकुर, रत्नेश कुशवाहा, सुजीत कुमार सिंह और रमा निषाद शामिल हैं। जदयू ने 24 नए प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें कविता साह, अतिरेक कुमार, अभिषेक कुमार और सोनम रानी सरदार चर्चा में हैं। लोजपा और वीआईपी ने भी अपने हिस्से की सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया है। बिहार में दोनों गठबंधनों के सीट बंटवारे को देखकर प्रतीत होता हैं कि इस बार का बिहार चुनाव सिर्फ सत्ता बदलने का नहीं, बल्कि सियासी सोच बदलने का पूरा संकेत है। पुराने विवादित चेहरों को टिकट से बाहर कर युवाओं, शिक्षित और नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर दोनों गठबंधनों ने साफ संदेश दिया है कि बदलाव ही अब जीत का मंत्र है। 6 और 11 नवंबर को मतदान के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि जनता को यह नया प्रयोग पसंद आएगा या पुराने समीकरण हावी रहने वाले है। चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित होने है। आशीष/ईएमएस 23 अक्टूबर 2025