-गैर रिश्तेदार या दोस्त का 50,000 से ज्यादा का गिफ्ट तो देना पड़ता है टैक्स नई दिल्ली,(ईएमएस)। शादी का मौसम शुरू होते ही देशभर में रौनक लौट आई। भारतीय शादियां सिर्फ रस्मों तक सीमित नहीं होतीं, बल्कि इनका सामाजिक और आर्थिक असर भी होता है। इन भव्य समारोहों में गिफ्ट्स का आदान-प्रदान परंपरा का अहम हिस्सा है- कभी नकद रूप में, तो कभी सोने-चांदी या कीमती वस्तुओं के रूप में। क्या शादी में मिले ये तोहफे टैक्स के दायरे में आते हैं? ‘नहीं’, अगर गिफ्ट शादी के मौके पर मिला हो। आयकर कानून के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को गिफ्ट उसके करीबी रिश्तेदारों से मिलता है जैसे माता-पिता, भाई-बहन, जीवनसाथी, ससुराल वाले या वंशानुगत रिश्तेदार- तो वह पूरी तरह टैक्स फ्री है, लेकिन अगर गिफ्ट किसी गैर-रिश्तेदार या दोस्त से मिले और उसकी कुल कीमत एक वित्तीय वर्ष में 50,000 रुपए से ज्यादा हो, तो उस पर टैक्स देना पड़ता है। इन गिफ्ट्स में नकद राशि, सोना, ज्वेलरी, शेयर या प्रॉपर्टी शामिल हो सकती है। ऐसे गिफ्ट्स को आयकर रिटर्न के तहत दिखाना जरूरी है। शादी के दिन या उससे जुड़े आयोजनों पर मिले सभी गिफ्ट्स चाहे वे रिश्तेदारों, दोस्तों या किसी भी व्यक्ति से क्यों न मिले हों टैक्स से पूरी तरह मुक्त होते हैं। आयकर विभाग के मुताबिक ‘किसी व्यक्ति को शादी के अवसर पर मिला गिफ्ट टैक्स योग्य नहीं होता। यह छूट सिर्फ शादी के अवसर पर लागू होती है यानी अगर किसी को जन्मदिन, सालगिरह या किसी अन्य मौके पर गिफ्ट मिलता है, तो वह टैक्स योग्य माना जाएगा अगर उसकी वैल्यू 50,000 रुपए से ज्यादा है। अगर शादी में आपको बड़ी रकम या कीमती गिफ्ट्स मिले हैं, तो उनका सही रिकॉर्ड रखना जरूरी है। आयकर रिटर्न भरते समय गिफ्ट्स की वैल्यू और उनसे जुड़ी जरूरी डॉक्युमेंट्स को डिस्क्लोज करें ताकि भविष्य में किसी तरह की टैक्स नोटिस या परेशानी का सामना न करना पड़े। विशेषज्ञों के मुताबिक शादी में मिले गिफ्ट्स को समझदारी से निवेश करने पर यह नई जिंदगी की मजबूत वित्तीय नींव बन सकते हैं। शादी के मौके पर मिले तोहफे टैक्स से पूरी तरह मुक्त हैं, लेकिन बाकी मौकों पर सावधानी जरूरी है। सही जानकारी रखकर न केवल आप टैक्स झंझट से बच सकते हैं, बल्कि अपने भविष्य की आर्थिक योजना को भी मजबूत बना सकते हैं। सिराज/ईएमएस 05 नवंबर 2025