कांकेर(ईएमएस)। शहर के दोनों वन विभागीय उपभोक्ता डिपो अलबेलापारा और लट्टीपारा में जलाऊ लकड़ी की भारी कमी से आमजन परेशान हैं। मांग के मुकाबले 50% स्टॉक भी उपलब्ध नहीं है। लट्टीपारा डिपो में महज ढाई चट्टा और अलबेलापारा में सिर्फ 2 चट्टा लकड़ी शेष होने से ग्रामीण एवं शहरी उपभोक्ताओं को अलाव जलाने तक में दिक्कतें आ रही हैं। सर्दी का असर बढ़ने के साथ ही अलाव की जरूरत भी बढ़ गई है, लेकिन डिपो में लकड़ी का अभाव लोगों की परेशानी को दोगुना कर रहा है। दोनों डिपो में 150-150 कुल 300 चट्टा जलाऊ लकड़ी पहुंचनी थी, लेकिन अब तक सिर्फ 110 चट्टा ही उपलब्ध कराया जा सका है। अलबेलापारा डिपो: 60 चट्टा पहुँचा, अब केवल 2 चट्टा शेष लट्टीपारा डिपो: 50 चट्टा पहुँचा, अब सिर्फ ढाई चट्टा बचा इन डिपो पर शहर के अलावा भीरावाही, सिदेसर, डुमाली, माटवाड़ा मोदी, सरंगपाल, बागोडार, नारा, सिंगारभाठ, कोदाभाठ, आतुरगांव, दसपुर, बेवरती और पटौद जैसे गाँव निर्भर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से पर्याप्त जलाऊ लकड़ी नहीं मिल पा रही है, जिससे सर्दियों में बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं। अघननगर वार्ड निवासी विजय नायर ने कहा कि “लट्टीपारा डिपो में हर साल लकड़ी की कमी रहती है। इस बार तो स्थिति और भी खराब है। कांकेर के वन परिक्षेत्र अधिकारी धनलाल साहू ने बताया कि बारिश के दौरान कूपों में लकड़ी कटाई का काम प्रभावित हुआ था, लेकिन अब कटाई पुनः शुरू हो चुकी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही दोनों डिपो में पर्याप्त जलाऊ लकड़ी उपलब्ध करा दी जाएगी, ताकि लोगों को भोजन बनाने और अलाव जलाने में कोई परेशानी न हो।