- मैदान पर हुई मौतों ने बदल दिए खेल के सुरक्षा नियम नई दिल्ली (ईएमएस)। क्रिकेट को हमेशा “जेंटलमैन गेम” कहा जाता रहा है, लेकिन इसके इतिहास में कई ऐसे हादसे दर्ज हैं जिन्होंने साबित किया कि यह खेल कभी-कभी जानलेवा भी बन सकता है। बल्ले और गेंद के बीच की टक्कर ने कई खिलाड़ियों की जिंदगी छीन ली और इन घटनाओं ने न सिर्फ दुनिया को झकझोर दिया, बल्कि खेल के सुरक्षा मानकों में भी बड़े बदलाव की जरूरत को सामने रखा। सबसे चर्चित नामों में ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज फिलिप ह्यूज शामिल हैं, जिनकी 2014 में एक घरेलू मैच के दौरान शॉन एबट की बाउंसर गर्दन के ठीक नीचे लगी। इस चोट ने उनके दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचाया और दो दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई। इस हादसे के बाद हेलमेट डिजाइन में बड़ा बदलाव किया गया और खिलाड़ियों की गर्दन की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई। ह्यूज का “63 नॉट आउट” स्कोर आज भी उन्हें याद करने का प्रतीक माना जाता है। भारत के पूर्व बल्लेबाज रमन लांबा की 1998 में ढाका प्रीमियर लीग के दौरान मौत हुई। वह शॉर्ट लेग पर बिना हेलमेट फील्डिंग कर रहे थे जब बल्लेबाज मेहराब हुसैन के शॉट से उनके सिर पर चोट लगी। कुछ ही घंटों में वे कोमा में चले गए और तीन दिन बाद दुनिया को अलविदा कह गए। इस घटना के बाद क्लोज-इन पोजिशन पर खड़े फील्डरों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया। इंग्लैंड के विल्फ स्लैक की 1989 में बल्लेबाजी करते समय अचानक गिरकर मौत हो गई। डॉक्टरों के अनुसार उन्हें पहले भी ब्लैकआउट होता था, लेकिन इसकी वजह स्पष्ट नहीं हो पाई। इस घटना ने खिलाड़ियों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जरूरत पर रोशनी डाली। पाकिस्तान के वसीम राजा 2006 में इंग्लैंड में वेटरन्स मैच खेलते हुए हार्ट अटैक से चल बसे, जिससे बढ़ती उम्र के खिलाड़ियों के लिए फिटनेस और कार्डियक टेस्ट की अहमियत सामने आई। दक्षिण अफ्रीका के डैरिन रैंडल 2013 में एक बाउंसर पर पुल शॉट खेलते हुए गेंद से सिर पर लगी चोट से मृत्यु को प्राप्त हुए, जबकि उन्होंने हेलमेट पहना हुआ था। इस हादसे ने हेलमेट की क्वालिटी और तकनीक को और उन्नत करने की दिशा में वैश्विक बहस छेड़ दी। उसी साल पाकिस्तान के जुल्फिकार भट्टी तेज गेंद सीने पर लगने के बाद हार्ट फेल होने से निधन हो गया, जिसके बाद बल्लेबाजों के लिए चेस्ट गार्ड्स को जरूरी माना गया। इंग्लैंड के आयन फॉली 1993 में चोटिल होने के बाद अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान हार्ट अटैक का शिकार हो गए, जिसने स्टेडियमों में अत्याधुनिक मेडिकल सुविधाओं की आवश्यकता को मजबूत किया। ये सभी घटनाएं बताती हैं कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जोखिमों से भरा मंच भी है। जिन खिलाड़ियों ने मैदान पर अपनी जान गंवाई, उनकी याद आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में सम्मान, चेतावनी और प्रेरणा के रूप में जीवित है डेविड/ईएमएस 16 नवंबर 2025